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Writer's picturePrakash Thakur

Death Anniversary Guru Har Rai



Guru Har Rai ([gʊɾuː ɦəɾ ɾaːɪ]; 26 January 1630 – 16 October 1661) revered as the seventh Nanak, was the seventh of ten Gurus of the Sikh religion. He became the Sikh leader at age 14, on 18 March 1644, after the death of his grandfather and the sixth Sikh leader Guru Hargobind. He guided the Sikhs for about seventeen years, till his death at age 31.

Guru Har Rai is notable for maintaining the large army of Sikh soldiers that the sixth Sikh Guru had amassed yet avoiding military conflict. He supported the moderate Sufi influenced Dara Shikoh instead of conservative Sunni influenced Aurangzeb as the two brothers entered a war of succession to the Mughal Empire throne.


गुरू हर राय(पंजाबी: ਗੁਰੂ ਹਰਿਰਾਇ) सिखों के सातवें गुरु थे। गुरू हरराय जी एक महान आध्यात्मिक व राष्ट्रवादी महापुरुष एवं एक योद्धा भी थे। उनका जन्म सन् १६३० ई० में कीरतपुर रोपड़ में हुआ था। गुरू हरगोविन्द साहिब जी ने मृत्यू से पहले, अपने पोते हरराय जी को १४ वर्ष की छोटी आयु में १३ मार्च १६४४ को 'सप्तम्‌ नानक' के रूप में घोशित किया था। गुरू हरराय साहिब जी, बाबा गुरदित्ता जी एवं माता निहाल कौर जी के पुत्र थे। गुरू हरराय साहिब जी का विवाह माता किशन कौर जी, जो कि अनूप शहर (बुलन्दशहर), उत्तर प्रदेश के श्री दया राम जी की पुत्री थी, हर सूदी ३, सम्वत १६९७ को हुआ। गुरू हरराय साहिब जी के दो पुत्र थे श्री रामराय जी और श्री हरकिशन साहिब जी (गुरू) थे।

गुरू हरराय साहिब जी का शांत व्यक्तित्व लोगों को प्रभावित करता था। गुरु हरराय साहिब जी ने अपने दादा गुरू हरगोविन्द साहिब जी के सिख योद्धाओं के दल को पुनर्गठित किया। उन्होंने सिख योद्धाओं में नवीन प्राण संचारित किए। वे एक आध्यात्मिक पुरुष होने के साथ-साथ एक राजनीतिज्ञ भी थे। अपने राष्ट्र केन्द्रित विचारों के कारण मुगल औरंगजेब को परेशानी हो रही थी। औरंगजेब का आरोप था कि गुरू हरराय साहिब जी ने दारा शिकोह (शाहजहां के सबसे बड़े पुत्र) की सहायता की है। दारा शिकोह संस्कृत भाषा के विद्वान थे। और भारतीय जीवन दर्शन उन्हें प्रभावित करने लगा था।

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